Tuesday, October 27, 2020

१८ - मनुष्य - शरीर में छः चक्र ।

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१८ - मनुष्य - शरीर में छः चक्र

      ऊपर की दफ्रा में बयान किये हुए तीन मुख्य विभागों के अलावा , जिनको पालमे सगीर के तीन बड़े दर्जे कहना चाहिए , पहले विभाग यानी शरीर के अंदर छः उपभाग देखने में आते हैं जिनको पट - चक्र कहते हैं और जिनकी तफसील यह है : खारिज करना है ।

      ( १ ) गुदाचक्र यानी मूलाधार - इसका काम फुजला यानी मल

      ( २ ) इंद्रियचक्र - इसका काम प्रौलाद पैदा करना यानी ऐसे बीज का बनाना है जो तरको पा कर अस्वीर में मनुष्य - बोला बन जावे ।

       ( ३ ) नामिया - इसका काम खाना हजम करना और तमाम शरीर की परवरिश करना है ।

       ( ४ ) हृदयचक्र - यह छाती की हड्डी के निचले सिरे के करीब , जिसको कौड़ी का मुक्काम कहते हैं , वाकै है । इसका काम तमाम शरीर का चंदोबस्त करना है । संकल्प विकल्प सब इसी स्थान से पैदा होते हैं । रंज व सुशी और उम्मीद व खौफ बगैरह का असर इसी मुकाम पर होता है । अक्सर ऐसा हुआ है कि दिल की हरकत और नब्ज की चाल बंद हो जाने पर यह चक्र अपनी क्रिया बदस्तूर करता रहा और दुःख मुख वगैरह का अनुभव और ज्ञानेंद्रियों व कर्मेंद्रियों की क्रिया भी कुछ देर तक बदस्तूर जारी रही लेकिन जब इस चक्र पर कोई ऐसी चोट लग गई कि जिससे इसकी क्रिया बिलकुल रुक गई तो शरीर का सबका सब कारखाना मानसिक क्रियाओं के समेत कतई बंद हो गया ।

       ( ५ ) कंटचक्र - इसका काम सूक्ष्म प्राण का रवाँ यानी चालू रखना है ।

       ( ६ ) छठाचक्र - जो दोनों आँखों के मध्यस्थान में नाक की जड़ से करीब एक इंच अंदर की जानिय चाकै है और सुरत यानी रूह की नशिस्त या बैठक का मुकाम है ।

      नीचे के चार पक्रों की क्रियाएँ कम व पेश प्रकट है और हर फोई उनको समझता है लेकिन ऊपर के दो चक्रों की क्रियाएँ सिर्फ उन घास शगलों या साधनों की कमाई करने से जानी और परखी जा सकती हैं जिनका मागे पल कर जिक्र किया जायेगा । इन साधनों की कमाई के दौरान में वे सब सुरत के सिंघाच की हालतें , जो मृत्यू रमना है । से पहले और मृत्यु होने पर जीव पर पाती हैं , होश व हवास कायम रहते हुए दर्जे बदर्ज अभ्यासी पर गुजरती हैं और उस वक़्त जो तजरुवे प्राप्त होते हैं उनके द्वारा हमारे ऊपर के लेख की दुरुस्ती की काक्री व शाकी अमली जाँच हो सकती है । ग्राइंदा चल कर अगर वैज्ञानिक लोग ऐसी तरकीचे निकाल लेवे कि जिनके जरिये से मरते हुए इंसान के जिस्म में जिंदा और मुर्दा हिस्सों के बाहमी फर्क की तमीज़ हो जावे तो उनकी मारफत भी हमारे ऊपर के लेख की तसदीक हो सकती है और गालियन इस क्रिस्म की तसदीक वैज्ञानिक दृष्टि से ज्यादा तसल्लीबश होगी ।



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